Manish Upadhyay

Friday, 23 October 2015

तुम केवल एक अभिनेता हो....

तुम केवल एक अभिनेता हो।  

Read an article in one of Osho's Magazine.

Very Interesting  & True.


Monday, 21 September 2015

Chak De DAVID...

Chak De David....Tod De Bimari Ko..!!

I always wonder to identify the Power of 'Human Belief'...

Every time I read New True Stories....Every-time I got to know that.......

 IF YOU THINK YOU CAN...YOU CAN.


Read the True Incident of Mr. David Smith...and get Kickass Motivation.

Salute You David Bhai.




LIVE LIFE by YOUR OWN TERMS....

Monday, 17 August 2015

1st Meeting with Me..

Meeting with Me...

                     ऑटो से उतरा  … और एक तार वाले कंपाउंड वॉल को क्रॉस करते हुए ,एक बढ़े से हॉल में प्रवेश किया।  हॉल में  प्रवेश करने के पहले, पीछे पलटकर अपनी वाइफ और उनके माता पिता को देखा ,जो मुझे उस जगह पर छोड़ने आये थे। माता-पिता दोनों एक सपोर्ट के भाव से मुझे विदा कर रहे थे और मेरी वाइफ के चेहरे पर पे कुछ ख़ुशी और कुछ confusions की रेखाये थी। और जब मैंने उन्हें अलविदा कहने के लिए अपना हाथ हिलाया तो मेरे भी मन में उलझन थी की मेरा परिवार, मेरे बिना १० दिन कैसे बिताएगा ????



हा दोस्तों मै विपस्सना मेडिटेशन शिबिर (कैंप) जा रहा था और इसी  कारन से मेरे परिवार वाले मुझे सेंटर तक छोड़ने आये थे।  यह एक  मोटिवेशन रहता है। मोटिवेशन उन लोगो के लिए जो विपस्सना पहली बार कर रहे है।  आप सोच रहे होगे भाई मोटिवेशन की  ऐसी क्या जरुरत पड़ती होगी। जरा सोचिये आप १० दिन आर्य मौन (आर्य मौन माने आप किसी से कुछ बात नहीं कर सकते,इशारो से भी नहीं) का पालन करेंगे और आपके पास न आपका सबसे चहेता, आपका पहला हाथ …हा जी आपका स्मार्ट फ़ोन होगा न आपका दूसरा अति प्रिय हाथ ,आपका लैपटॉप या आपका T.V.  होगा। और आप यह दस दिन न कुछ पढ़ सकते है न कुछ लिख सकते है ,शार्ट में बोलू तो आपका जीवन एक भिक्षुक के जीवन की तरह होता है ,वह भिक्षुक जिसका  १० दिन  के लिए बाहरी दुनिया से  कोई नाता नहीं होगा ,भिक्षुक खायेगा वो, जो उससे खाने दिया जायेगा, रहेगा वैसे ही जैसे उससे रहने के लिए कहा जायेगा ।यह एक तरह का १०  दिन के लिए आत्म समर्पण है और वो भी अपने लिए। अपने खुद के भले के लिए।   

वह भिक्षुक को  सिर्फ एक चीज़ की आज़ादी रहती है और वो आज़ादी है अपने आप से बात करने की। इन दस दिनों के शिबिर में वो सिर्फ अपने आप से बात करता है। जोर से नहीं मन में ,क्योकि मौन होने के बाद केवल हमारे पास एक ही व्यक्ति बचता है बात करने के लिए और वो हम खुद।  

वह भिक्षुक पहली बार इंटेन्शनली अपने आपसे मिलता है।  आपके समझ में आ ही गया होगा मैंने क्यों ऊपर मोटिवेशन का जिक्र किया और क्यों इस आर्टिकल का नाम मीटिंग विथ मी (Meeting with Me) है।  हा मै पहली बार अपने आप से इस तरह मिला की मै खुद भी अचम्भे में रह गया। 

आईये दोस्तों यात्रा करते है विपस्सना मेडिटेशन की। ......... 

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रेडी मूवी का सलमान खान का एक डायलाग काफी फेमस हो चला था। Never Underestimate I ,Me & Myself. 

लेकिन  हमे कोई नहीं बताता ,"How to Understand I, Me or Myself "

यह जवाब आपको विपस्सना मेडिटेशन देता है। बशरते, आप इसे पूरी ईमानदारी से और पूरी समझ के साथ करे।  

विपस्सना मेडिटेशन क्या है :

It is the simple & practical way to achieve real peace of mind and to lead a happy,useful life.

Vipassana means "to see things as they really are ". It is logical process of mental purification through self observation.

From time to time ,we all experience agitation,frustration and disharmony. When we suffer ,we don't keep our misery limited to our-self ; instead we keep disturbing it to the others.Certainly this is not proper way to live.We all long to live at peace within our-self and with those around us.After all,human beings are social beings we have to live and interact with other.How then we live peacefully...?? How can we remain harmonious ourselves and maintain peace and harmony around us. 

Vipassana enables us to experience peace and harmony : it purifies the mind,freeing it from suffering and deep seated causes of sufferings .The practice leads step by step to the highest spiritual goal of full liberation from all mental defilement. 

(Source : Leaf-late of Vipassana Meditation )



विपस्सना का इतिहास :


अगर विपस्सना की हिस्ट्री की बात करू तो यह  २५०० वर्ष पुरानी मैडिटेशन तकनीक है जिसको गौतम बुद्ध ने फिर खोज कर निकाला था और खूब लोगो को फायदा पहुचाया था।  

विपस्सना भारत में Late Shri. S.N.Goenka जी द्वारा सन १९६९ को लायी गयी ।  उन्होंने इससे न केवल भारत में बल्कि ८० अन्य देशो तक पहुचाया। श्री गोयनकाजी बर्मा वासी थे जहा पर उन्होंने ने यह विद्या उनके गुरु सायबी  उ. बा. खिन से ली। 







विपस्सना:मेरी सोच 
  • यह विद्या कोई जादू की छड़ी नहीं है,रास्ता श्री गोयनका जी बताते है लेकिन चलना आप ही को है, मेहनत आपको ही करनी है। 
  • यह एक प्रक्टिकल एप्रोच वाली विद्या है. " यहाँ पर आप बहुत सी चीज़े जानेंगे ".आज तक हम दुसरो के कहने पर चीज़े मानते आये है। यह विद्या आपको स्व -अनुभव से बहुत सी बातें जानने में मदत करेगी।  
  • एकमात्र विद्या जहा बिना बोले हम सब कुछ जानने लगते है। 
  • यह  एक Real Time प्रक्टिकल  Experiential Exploration Technique है 
  • यह विद्या किसी भी संप्रदाय में नहीं आती,इस लिए आप सिख,मुस्लिम,हिन्दू, बौद्ध ,ईसाई या कोई भी संप्रदाय के हो ,इस विद्या को सिखने के लिए आपको को कोई नहीं रोक सकता। 
  • यह विद्या किसी भी संप्रदाय को बुरा नहीं कहती बल्कि आपको आपके ही संप्रदाय के बारे में अवगत कराती है। 
  • यह पद्धति प्रॉफिट ओरिएंटेशन से नहीं सीखाई  जाती है ,इसीलिए यह निशुल्क है ,
  • फ्री है ऐसा सोचकर, ऐसा न सोचे की एक बार हो कर आते है, फ्री ही तो है , यहाँ पर फीस बहुत बड़ी देनी रहती है और वह फीस है 'नियमो का पालन' , नियमो का पालन ही उनकी सबसे बड़ी फीस है। 
  •  आप इससे Meditation कहे , Self Purification कहे , या Mind Purification  प्रोसेस कहे ,इसमें आप को आपकी सोच से ज्यादा मिलेगा।
  • ऐसा भी न समझे की अगर आपने  ये विद्या ले ली तो आप को जीना आ गया ,नहीं यह सोचना गलत होगा ,मै कहुगा जीने का रास्ता आपको मिला है  और वो भी आपके इस विद्या के अनुभव के बल पर,  हा यह जरूर कहूँगा आपने ..... अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक नन्हा कदम ले लिया है।  

अंतः मै यही कहुगा , अगर आप वाकई में खुद के स्वभाव को  स्व-अनुभव के आधार पर बेहतर बनाना चाहते है तो यह विद्या का रास्ता वही जाता है।  करोडो लोगो ने अपने जीवन में इस विद्या से बहुत कुछ बदला है और अपना जीवन सुकून  से जी रहे है। आप कुछ ऐसा ही चाहते है तो यह विद्या सीखे। 

यहाँ पर.....  यह सब पढ़ने के बाद आपको इस विद्या को सिखने का जी कर रहा होगा। 

यहाँ पर आप अपने आप से प्रश्न पूछ सकते है ,आप यह क्यों करना चाहते है …? अगर आपको कुछ कांक्रीट जवाब आते है ,तो बधाई। 


 अन्यथा ,आप के शिबिर के १० दिन ,आपके लिए  और  आपके आस पास वालो के लिए बढे कठिन हो जायेगे। 

कारन ढूंढे - समता पूर्वक सोचे - और निर्णय ले।  


मेरा यह आर्टिकल लिखने की कारन ही यह है की मै अपने नेटवर्क  में जितने लोग  है उनको बताऊ की भाई कुछ ऐसा भी इस दुनिया में है जो आपका जीवन बदल सकता है। मै  इसलिए कह रहा हु क्योकि मुझे इस विद्या से बहुत कुछ मिला है। 

 मेरे  इस १० दिवसीय शिबिर करने के कारण थे, मेरी जानने की जिज्ञासा और सिखने की बहुत ज्यादा भूख।  यह दोनों कारणों के साथ और तीसरा कारन था ,मैने यह हमेशा चाहा है ,जब भी मै अपना कुछ नया बिज़नेस करुगा तो पहले मै विपस्सना सिखुगा। बस यही कारणों से मैंने इसे सिखने का निर्णय लिया। अभी मै ट्रेनिंग आर्गेनाइजेशन ओपन करने के प्रोसेस में हु। 

मै अपने आपको दो कारणों से बहुत ज्यादा  भाग्यशाली मानता हु, प्रथम , मेरे परिवार में मेरे पिता और मेरे बड़े भाई दोनों ने मुझसे पहले यह विद्या सीखी और दोनों मेरे विपस्सना के मेंटर है। 

दूसरा ,मेरी वाइफ का और उनके माता -पिता का सपोर्ट ना होता तो शायद मै यह विद्या लेने में असमर्थ था। 

मै ,मेरे अपने पुरे परिवार के लिए और उन सभी लोगो के लिए सदैव कृत्यग्न रहुगा जिनके कारन मै यह १० दिवसीय शिबिर कर पाया।  

अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हो जो अपने जीवन में अपने स्वभाव से या और किसी कारन से  बहुत ज्यादा परेशान है  या  ना भी किसी ऐसे को जानते हो ,तो भी आप यह आर्टिकल शेयर कर सकते है। .... पता नहीं कब.… किसे ....... इस रास्ते का काम पड़ जाए : रास्ता विपस्सना का। 



वैसे यह  रास्ता हम सभी के लिए है क्योकि हम सभी अपने मन में खूब व्याकुल  है और कारन ढूंढ़ते है बाहर की दुनिया में। जरुरत है अपने आप को देखने की। 

जैसे मै अपने आप से … अपने मन से, पहली बार वास्तविक रूप से मिला। मेरी लालसा है आप भी अपने मन से मिले। 

जैसा मेरा कल्याण हुआ है वैसा आप सभी का मंगल हो।

खूब होश के साथ आगे बढे. … बढ़ते ही चले। 

धन्यवाद !

मनीष.


  
CLICK HERE for more Details about Vipassana Meditation. 


   










Thursday, 30 July 2015

Famous LOGO & Its Meaning.-By Gaurav Tidke












Great Gaurav..!!!! Nice Initiative.

The LOGO means BRAND..and BRAND means YOUR UNIQUE IDENTITY.

What is Your IDENTITY...???

Think & Grow Rich.!!!!

Happy Thoughts.

Manish Upadhyay.

 


Saturday, 6 June 2015

Mai Kya Karoo..??

Mai Kya Karoon…Mai Kya Karoon…????


I was searching for the meaning of “Career” on Google and when I got the answer from Google Pudia (WikiPedia).I laughed for 10 mins at a stretch.They define “Career is an individual's journey through learning, work and other aspects of life”. But for an Indian it is not Individual..it is moreover Family Centric : HUM SAATH SAATH HAI.









What Oxford English Dictionary defines as "Course or progress through life" (or a distinct portion of life).

But how we generally choose career..?



India is the only country where Career path is first decided by our family (mostly) and then by us (Some are still unlucky in this aspect).I think we should not blame our parents & family because they did what they thought of giving BEST.

But What about New People….New Graduates & New Engineers who are thinking to make their name in this world. I do regularly get queries from students asking about Which Career is the best…?

How can I decide which type of clothes fits one as you are unique in health, weight, size & shape? But Surely I can help you on Fabrics of different clothes which can help you, for selection or can help you understand which clothes are suitable for which personalities or maybe How can one make a mind before trying some New Outfit...So that YOUR LIFE WILL  ALSO BECOME HAPPY LIFE (as we see in Sooraj Badjatya’s movies…Everything seems to be so happy and Goody..Goody...).Hope I am making sense. I will be sharing You My Top 6 Life Learning about Career Selection.



  • INTROSPECTION: Understand Yourself, If You are aware about Yourself, Your are aware about the world. Don’t be Rude/harsh to Yourself..Just identify in what areas you are good at and by doing this don’t connect or try to connect your strengths to your career or any career immediately. Take Time & Vomit Your Mind. Scrub all the corners of mind. The understanding of oneself helps a lot in deciding WHAT WHICH is THE PATH for ME..?


  • Things which You can’t do or doesn’t like to do: There are different things which we don’t like or don’t want to do…Like Some people don’t like to spend time in office after 5 PM. Someone may like working on Sundays (Workoholic type).Someone may think , Working alone is not best. Some budding people may not like to meet New People. These all decides ‘WHERE TO GO..?’

  • Money-Sunny or Passion-Tashan: I feel there are two major ways to LIVE LIFE. First Do what others are doing, put hard work and earn handsome salary by doing MNC Jobs. By this you can enjoy Money-Sunny, means you can use, buy and enjoy the “21st century leisure life” by all means. The other way is Identify Your Passion & Make it your Career or livelihood. By Passion-Tashan You can satisfy your soul. There are some `Idiot` people in this world who work on this path. Both the paths are Right & Wrong.Depends upon your thinking and how you are taking it.


  • YOU : Born Passionate (My Favorite): .Let me give you a simple difference between Passion & Hobbies. Hobbies are those which You like to do…although, if doesn’t get chance to do then its OK for You. But Passions is something, you cannot live a single day without and love to working on regularly. THINK WHAT YOU THINK DAILY…It may turn out to be your passion.Do You have Passion of something from childhood like Writing, Sporting, Painting, Speaking, Debating, Talking, Chatting, Managing, Cooking, Running, Helping, Understanding New Technology, Welcoming Guests, teaching, reading or Leading. Every mentioned activity has some uniqueness…which you can connect with your career. Say suppose If you like ‘Helping People’ then you can connect easily with your Passion/Profession. You can establish your NGO or can become part of Great NGOS in India or abroad.(Example :  ‘Goonj’-An NGO formed by an IIT Pass out which helps people, he had an passion of helping people. Now the No.1 NGO in India , which helps people who are facing difficult time due to Natural Calamities Goonj reached recently in Nepal also.Or you can also establish your company to help people to get jobs. In this case my question to you is “What Kind of help You wanted to do..?” .If you can specify the type of Help…the you can specify the Profession also. In this way your passion can decide or help you to decide your career. But before doing anything extra, you must do some basic activities..which I am sharing in Next Post.

  • Risk Taking Appetite: How much heavy & spicy food, you can digest..I mean to say How much thoughts or comments of other People can be digested by You. Say You decide to do develop an application for students immediate after your graduation. And for that you are doing an Entrepreneurship Course immediately after your graduation. People may be shocked by saying you are fool as you are doing Entrepreneurship after your Engineering. Parents may or may not be with you. Some people can digest these heavy, sharp thoughts/comments but not all. So My question to you,” Before Doing anything Extra or Different, have you increased your appetite??”It is same as before lifting a heavy weight in Gym, Instructor asks us to do little Warm-Up so that It should not harm your muscles. In same manner, Make-Up Your Mind for doing extra (if you are doing) and read, live, follows the people who are doing it. It will help you to increase the strength of your mind.


Still confused about what to do.. A Job which is my hand or Identify Passion or Listen to my heart or Earn Money..????? 
                            
                                                       I started writing this long article to share some FOUNDATION STONES which makes your Life little Crispy & little Crunchy…As You know We started our journey by INTROSPECTION,  and Identified ‘Things which We doesn’t like to do’, and then help us to understand…which is Important for us ‘Money-Sunny or Passion-Tashan’. After this Step…People are really moved to understand their PASSION and before directly jumped on Passion, We increased our Risk Taking Appetite.

And the last…If You are still confused…then here is the LAST PUNCH which never fails:



  • Confused People will get Safety Shelter only if they flow or walk with the flow: If you are confused that you have some passion or not, having difficulty in identifying the passion or confused that Doing Job is Best or Doing Study is Best. What I suggest here is Start walking First then it will be decided by Nature where we have to turn. Sometimes we have New paths or New curves or New Destination are available in next square..And for reaching that Next Square You have to START WALKING. So GRAB THE OPPORTUNITY WHICH IS WITH YOU RIGHT NOW. (if You are confused what to do..?) Eventually you will discover some New things in Life once you cross or get some experience. Don’t Panic, Be with Flow for the Time. It will help you to reach New Places, New Avenues and New Ventures. Believe Me, NATURE HAS POWER TO SHOW YOU THE RIGHT PATH.
I will be happy to solve your queries....Will be back with some New Freshness & New Insights of Life...Till that Time...

Dil Dhadakne Do..!!!

Manish Upadhyay



Thursday, 21 May 2015

दिल तो रोमिंग है....

सुबह घर से ऑफिस के  लिए निकला।पार्किंग  में अपनी बाइक निकालने  के लिए जब गया तो देखा मेरी बाइक के बाजु में  मेरी ड्रीम बाइक खड़ी थी।रॉयल एनफील्ड जो की मै हरबार चाहता हु  की एक दिन मै उससे खरीदुंगा मिनट के लिए मै चुप-चाप उससे देखता रहा और कुछ अपनी चाहत को अपने इतने  पास देखकर ख़ुशी हुई और थोड़ा मन छोटा होने लगा  क्योकि सोचने लगा यह बाइक मेरी कब होगि। " कुछ समय के लिए मेरा दिल मेरा रहा वो तो रोमिंग हो गया था जो  किसी दूसरे की चीज़ो को या यह कह लीजिये कुछ नए विचारो में खोने लगा "..
             ऑफिस जाते समय जब अपने वाइफ को उसके बस स्टॉप पर ड्राप किया और अपने ऑफिस के लिए चला जा रहा था तो देखा कुछ लोगो का  ग्रुप साइकिलिंग कर रहा है और वो सुबह सुबह अपने मित्रो और यारो  के साथ जा रहे थॆजो समय मै ऑफिस के लिए निकला उस समय वो साइकिलिंग कर रहे थॆ।यह एक प्रकार की असहज फीलिंग्स थी जो मुझे ऑफिस जाने के लिए रोक रही थी और बोल रही थी भाई तू भी आज साइकिलिंग कर लेक्योकि मै ऑफिस जल्दी पहुचता था और वह सिर्फ मेरी वाइफ के कारण क्योकि मुझे  उसे ड्राप  करना पड़ता था " कुछ समय के लिए मेरा दिल मेरा रहा वो तो रोमिंग हो गया था जो  किसी दूसरे की चीज़ो को या यह कह लीजिये कुछ नए विचारो में खोने लगा "..

दोपहर के काम के बाद जब हम सभी एक डिपार्टमेंट के करीब लोग  लोग अपने लंच के लिए बैठे तो देखा।आज फिर वही मेरे टिफ़िन में था जो मुझे पसंद नहीं है हा करेले की सब्जी तभी  मै ने  अपने साथियो के टिफ़िन में झाक कर देखने लगा तो अपनी आँखो पर विश्वास नहीं हुआसुबह सुबह पनीर मसाला हा हर बार की तरह प्रदीप आज फिर पनीर की सब्जी लाया थामै सोचने लगा यार यह प्रदीप के घरवाले हर मंडे पनीर की  सब्जी कैसे बना लेते है शायद प्रदीप की वाइफ प्रदीप को मंडे को काम को लेकर मोटीवेट करने के लिए टिफ़िन में इतना अच्छा खाना देती होगी ..." कुछ समय के लिए मेरा दिल मेरा रहा वो तो रोमिंग हो गया था जो  किसी दूसरे की चीज़ो या यह कह लीजिये कुछ नए विचारो में खोने लगा "


                    शाम होते होते मै दिमागी रूप से थक गया था क्योकि मै वोही सोच रहा था जो मेरे साथ सुबह से हुआशाम को ऑफिस निकलते वक़्त मेरा मुह छोटा हो गया था क्योकि मै अपने आपको दुनिया का सबसे बड़ा बेचारा मानने लगा था और ऑफिस में जिसे देख रहा था वो सब खुश थॆयहि सोच के साथ लिफ्ट में जाने लगा तो अचानक से मेरे पुराने ग्राहक मिश्राजी गए। मिश्राजी आकर मुझे धन्यवाद करने लगे और मेरी तारीफ करने लगे की किस तरह से मैंने उनका पुराना मोबाइल बिल का  प्रॉब्लम सॉल्व कर दिया और उनका काफी बड़ा अमाउंट उनके बिल  में से मेरी टेलीकॉम कंपनी  द्वारा माफ़ करा दिया। उन्होंने कहा मेरे जैसी ग्राहक  सेवा उनको अब तक मेरे ऑफिस से किसी  ने नहीं दी. मै मुस्कुराया मुझे अच्छा  महसूस होने लगा। मै खुशी से सीढ़ियों से निचे उतरने लगा और पार्किंग से अपनी  गाडी निकालने लगा तो  देखा प्रदीप एग्जिट गेट  पर किसी से फोन पर जोर से चिल्ला रहा थामै रुका और पूछने लगा प्रदीप  ने जो कहा उस पर मुझे विश्वास नहीं हुआप्रदीप कहने लगा    " यार मुझे घर का खाना खाना खाना है और मेरी वाइफ है की क्या बोलूतुझे पता है??? यार तू प्रॉमिस कर किसी को बताएगा नही" मेरी हामी सुनाने के बाद वो बोला यार हर मंडे मुझे संडे रात की सब्जी जो हम पार्सल बुलाते है वो मिलती हैमै यार  घर का खाना चाहता हु और प्रीती मेरी वाइफ बाहर का खाना ज्यादा प्रिफर करती है।

                    मै कुछ बोल पाया बस अपनी गाड़ी लेकर घर  के लिए निकला और अपने वाइफ की पिक उप करने के फिर से वही बस स्टॉप पर आकर खड़ा हो गया. शिल्पा  को आने में अभी भी १० मिनट का समय था और मै शिल्पा के बारे में  सोचने  लगा और अच्छा महसूस कर रहा था शिल्पा मेरी वाइफ इतने जल्दी ऑफिस का समय रहने  के बाद भी मुझे हरदम अच्छा  खाना  बनाती थी और मेरे पुरे परिवार का ख्याल भी रखती थी।  मै थोड़ा इमोशनल सा महसूस करने लगा और जान गया था अभी मेरा दिल रोमिंग नहीं है वो मेरा है और  मै अपनी लाइफ के उन छोटे-छोटे पल के बारे में सोचना लगा जिसे मुझे और शिल्पा को जीने में मजा आता है।

शिल्पा बस से उतरी और हम लोगो ने पानी पूरी खाई और आज मुझे पानी पूरी में कुछ अजब सी मिठास लग रही थी जो मुझे इसके पहले कभी लगी।मै जान गया था मेरा दिल अगर रोमिंग हो भी जाता है तो कोई गलत नहीं है क्योकि इंसान की फितरत है  वो हमेशा से कुछ ज्यादा चाहता है लेकिन ये रोमिंग के फैसिलिटी के चक्कर में हम अपने  लोकल फैसिलिटी (प्रेजेंट सिचुएशन) को जीना भुला जाते है। 

दोस्तों, हम सभी के पास ऐसा बहुत कुछ है जो दूसरे सिर्फ  सोच सकते है  पर उन्हें नहीं मिल पाता। क्यों  ना हम  हमारे पास  जो है  उसको पहले  एन्जॉय  करना  सीखे .... इससे आप "ATTITUDE OF GRATITUDE " कह सकते हैक्यों हम उन चीजो के बारे में ज्यादा सोचे जो हमे इस जन्म में  ईश्वर ने दी है।  और उसके साथ साथ हम अपने जीवन को अच्छा  बनाने के कोशिश भी करेबस जरुरत है एक बैलेंस कि।  

आओ शुरू करे यह जीवन ज्यादा लोकल फैसिलिटी के साथ और कुछ रोमिंग फैसिलिटी के साथक्योकि दिल तो रोमिंग है। 


खुप जीए और खुप आगे बढे.। 

आपका अपना,
मनीष उपाध्याय.  

 
Executive Life Coach, Passionate Learner’s Trainer, Inspirational Speaker, Students Training Programs, Employed Training Programs, Other/Mixed Training, Nagpur