Thursday 21 May 2015

दिल तो रोमिंग है....

सुबह घर से ऑफिस के  लिए निकला।पार्किंग  में अपनी बाइक निकालने  के लिए जब गया तो देखा मेरी बाइक के बाजु में  मेरी ड्रीम बाइक खड़ी थी।रॉयल एनफील्ड जो की मै हरबार चाहता हु  की एक दिन मै उससे खरीदुंगा मिनट के लिए मै चुप-चाप उससे देखता रहा और कुछ अपनी चाहत को अपने इतने  पास देखकर ख़ुशी हुई और थोड़ा मन छोटा होने लगा  क्योकि सोचने लगा यह बाइक मेरी कब होगि। " कुछ समय के लिए मेरा दिल मेरा रहा वो तो रोमिंग हो गया था जो  किसी दूसरे की चीज़ो को या यह कह लीजिये कुछ नए विचारो में खोने लगा "..
             ऑफिस जाते समय जब अपने वाइफ को उसके बस स्टॉप पर ड्राप किया और अपने ऑफिस के लिए चला जा रहा था तो देखा कुछ लोगो का  ग्रुप साइकिलिंग कर रहा है और वो सुबह सुबह अपने मित्रो और यारो  के साथ जा रहे थॆजो समय मै ऑफिस के लिए निकला उस समय वो साइकिलिंग कर रहे थॆ।यह एक प्रकार की असहज फीलिंग्स थी जो मुझे ऑफिस जाने के लिए रोक रही थी और बोल रही थी भाई तू भी आज साइकिलिंग कर लेक्योकि मै ऑफिस जल्दी पहुचता था और वह सिर्फ मेरी वाइफ के कारण क्योकि मुझे  उसे ड्राप  करना पड़ता था " कुछ समय के लिए मेरा दिल मेरा रहा वो तो रोमिंग हो गया था जो  किसी दूसरे की चीज़ो को या यह कह लीजिये कुछ नए विचारो में खोने लगा "..

दोपहर के काम के बाद जब हम सभी एक डिपार्टमेंट के करीब लोग  लोग अपने लंच के लिए बैठे तो देखा।आज फिर वही मेरे टिफ़िन में था जो मुझे पसंद नहीं है हा करेले की सब्जी तभी  मै ने  अपने साथियो के टिफ़िन में झाक कर देखने लगा तो अपनी आँखो पर विश्वास नहीं हुआसुबह सुबह पनीर मसाला हा हर बार की तरह प्रदीप आज फिर पनीर की सब्जी लाया थामै सोचने लगा यार यह प्रदीप के घरवाले हर मंडे पनीर की  सब्जी कैसे बना लेते है शायद प्रदीप की वाइफ प्रदीप को मंडे को काम को लेकर मोटीवेट करने के लिए टिफ़िन में इतना अच्छा खाना देती होगी ..." कुछ समय के लिए मेरा दिल मेरा रहा वो तो रोमिंग हो गया था जो  किसी दूसरे की चीज़ो या यह कह लीजिये कुछ नए विचारो में खोने लगा "


                    शाम होते होते मै दिमागी रूप से थक गया था क्योकि मै वोही सोच रहा था जो मेरे साथ सुबह से हुआशाम को ऑफिस निकलते वक़्त मेरा मुह छोटा हो गया था क्योकि मै अपने आपको दुनिया का सबसे बड़ा बेचारा मानने लगा था और ऑफिस में जिसे देख रहा था वो सब खुश थॆयहि सोच के साथ लिफ्ट में जाने लगा तो अचानक से मेरे पुराने ग्राहक मिश्राजी गए। मिश्राजी आकर मुझे धन्यवाद करने लगे और मेरी तारीफ करने लगे की किस तरह से मैंने उनका पुराना मोबाइल बिल का  प्रॉब्लम सॉल्व कर दिया और उनका काफी बड़ा अमाउंट उनके बिल  में से मेरी टेलीकॉम कंपनी  द्वारा माफ़ करा दिया। उन्होंने कहा मेरे जैसी ग्राहक  सेवा उनको अब तक मेरे ऑफिस से किसी  ने नहीं दी. मै मुस्कुराया मुझे अच्छा  महसूस होने लगा। मै खुशी से सीढ़ियों से निचे उतरने लगा और पार्किंग से अपनी  गाडी निकालने लगा तो  देखा प्रदीप एग्जिट गेट  पर किसी से फोन पर जोर से चिल्ला रहा थामै रुका और पूछने लगा प्रदीप  ने जो कहा उस पर मुझे विश्वास नहीं हुआप्रदीप कहने लगा    " यार मुझे घर का खाना खाना खाना है और मेरी वाइफ है की क्या बोलूतुझे पता है??? यार तू प्रॉमिस कर किसी को बताएगा नही" मेरी हामी सुनाने के बाद वो बोला यार हर मंडे मुझे संडे रात की सब्जी जो हम पार्सल बुलाते है वो मिलती हैमै यार  घर का खाना चाहता हु और प्रीती मेरी वाइफ बाहर का खाना ज्यादा प्रिफर करती है।

                    मै कुछ बोल पाया बस अपनी गाड़ी लेकर घर  के लिए निकला और अपने वाइफ की पिक उप करने के फिर से वही बस स्टॉप पर आकर खड़ा हो गया. शिल्पा  को आने में अभी भी १० मिनट का समय था और मै शिल्पा के बारे में  सोचने  लगा और अच्छा महसूस कर रहा था शिल्पा मेरी वाइफ इतने जल्दी ऑफिस का समय रहने  के बाद भी मुझे हरदम अच्छा  खाना  बनाती थी और मेरे पुरे परिवार का ख्याल भी रखती थी।  मै थोड़ा इमोशनल सा महसूस करने लगा और जान गया था अभी मेरा दिल रोमिंग नहीं है वो मेरा है और  मै अपनी लाइफ के उन छोटे-छोटे पल के बारे में सोचना लगा जिसे मुझे और शिल्पा को जीने में मजा आता है।

शिल्पा बस से उतरी और हम लोगो ने पानी पूरी खाई और आज मुझे पानी पूरी में कुछ अजब सी मिठास लग रही थी जो मुझे इसके पहले कभी लगी।मै जान गया था मेरा दिल अगर रोमिंग हो भी जाता है तो कोई गलत नहीं है क्योकि इंसान की फितरत है  वो हमेशा से कुछ ज्यादा चाहता है लेकिन ये रोमिंग के फैसिलिटी के चक्कर में हम अपने  लोकल फैसिलिटी (प्रेजेंट सिचुएशन) को जीना भुला जाते है। 

दोस्तों, हम सभी के पास ऐसा बहुत कुछ है जो दूसरे सिर्फ  सोच सकते है  पर उन्हें नहीं मिल पाता। क्यों  ना हम  हमारे पास  जो है  उसको पहले  एन्जॉय  करना  सीखे .... इससे आप "ATTITUDE OF GRATITUDE " कह सकते हैक्यों हम उन चीजो के बारे में ज्यादा सोचे जो हमे इस जन्म में  ईश्वर ने दी है।  और उसके साथ साथ हम अपने जीवन को अच्छा  बनाने के कोशिश भी करेबस जरुरत है एक बैलेंस कि।  

आओ शुरू करे यह जीवन ज्यादा लोकल फैसिलिटी के साथ और कुछ रोमिंग फैसिलिटी के साथक्योकि दिल तो रोमिंग है। 


खुप जीए और खुप आगे बढे.। 

आपका अपना,
मनीष उपाध्याय.  

1 comments :

Yes, starting mornings with "Three gratitudes" can transform the whole day... It is all about attitude. Very true!

Post a Comment

 
Executive Life Coach, Passionate Learner’s Trainer, Inspirational Speaker, Students Training Programs, Employed Training Programs, Other/Mixed Training, Nagpur